आर्थिक स्वतंत्र देशों के नागरिक अधिक खुश और संतुष्टः ईएफडब्लू रिपोर्ट 2022

आर्थिक स्वतंत्रता एक व्यापक निबंधन है जिसका आंकलन कई कारकों के आधार पर किया जाता है। आर्थिक स्वतंत्रता को आंकने का श्रेष्ठ तरीका नागरिकों को प्रदत आर्थिक आजादी और शासन द्वारा उसके संरक्षण के लिए किये जाने वाले उपायों से संबंधित कारकों का अध्ययन करना है। जिस राष्ट्र के नागरिक आर्थिक रूप से जितने अधिक स्वतंत्र होंगे, वह राष्ट्र आर्थिक रूप से उतनी ही अधिक तरक्की करेगा। दुनिया भर के देशों में आर्थिक स्वतंत्रता का अध्ययन वार्षिक स्वतंत्रता सूचकांक जारी करने वाले कनाडा के फ्रेज़र इंस्टिट्यूट के फ्रेड मैकमोहन कहते हैं कि जिस राष्ट्र के नागरिक अपने पसंद की वृति करने के लिए जितने स्वतंत्र होते हैं वे अधिक समृद्ध, खुश और स्वस्थ रहते हैं।

अब यह सर्वविदित तथ्य है कि आज के मुक्त वैश्विक व्यापार, बाजार आधारित अर्थव्यवस्था और आर्थिक आजादी ने समस्त मानव जाति का कल्याण किया है। फ्रेज़र इंस्टिट्यूट के अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक स्वतंत्रता के अध्ययन के लिए विश्व के 161 देशों को चार हिस्सों में बांटा और उन देशों में गरीबी, औसत आय, जीडीपी और जीवन प्रत्याशा का विश्लेषण किया। इंस्टीट्यूट के मुताबिक पहले हिस्से में शामिल अधिक आर्थिक स्वतंत्रता वाले देशों की मात्र 2 प्रतिशत आबादी ही अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन करती है। वहीं चौथे हिस्से में शामिल देश जहां आर्थिक स्वतंत्रता कम है, वहां अत्यधिक गरीबों की संख्या 31 प्रतिशत है। आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र पहले हिस्से के देशों में जहां सबसे अधिक 10 प्रतिशत गरीब नागरिकों की औसत वार्षिक आय 14,204 डॉलर पाई गई वहीं अंतिम हिस्से के ऐसे देश जहां आर्थिक स्वतंत्रता सबसे कम है वहां के सबसे अधिक 10 प्रतिशत गरीब नागरिकों की औसत वार्षिक आय महज 1,736 डॉलर पाई गई। आर्थिक रूप से स्वतंत्र देशों में प्रति व्यक्ति सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) जहां 48,251 डॉलर है वहीं सबसे कम स्वतंत्र देशों में प्रति व्यक्ति जीडीपी 6,542 डॉलर ही है।

इसके अतिरिक्त अर्थशास्त्रियों ने यह भी पाया है कि आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र देशों में जीवन प्रत्याशा, कम स्वतंत्र देशों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। आर्थिक रूप से सबसे कम स्वतंत्र वाले वर्ग में शामिल राष्ट्रों के नागरिकों की औसत आयु जहां 66 वर्ष पाई गई वहीं तुलनात्मक रूप से अधिक आर्थिक स्वतंत्र राष्ट्रों के नागरिकों की औसत आयु 80 वर्ष मिली। इतना ही नहीं राजनैतिक और नागरिक अधिकारों, संतुष्टि के स्तर आदि में भी भारी अंतर देखने को मिला। अर्थशास्त्रियों ने पाया कि पहले हिस्से में शामिल राष्ट्र जो आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र हैं वहां के नागरिकों को कम स्वतंत्र राष्ट्रों के नागरिकों की तुलना में अधिक राजनैतिक और नागरिक अधिकार प्राप्त हैं। अध्ययन के पहले हिस्से में शामिल अधिक आर्थिक स्वतंत्र राष्ट्रों के नागरिकों 0-10 अंकों के पैमाने में 7 अंकों से अधिक राजनैतिक और नागरिक अधिकार प्राप्त थे। जबकि चौथे हिस्से में शामिल सबसे कम स्वतंत्र राष्ट्रों के नागरिकों को 0-10 अंकों के पैमाने में राजनैतिक अधिकार लगभग 1.5 अंक और नागरिक अधिकार केवल 2 अंक ही प्राप्त थे। जीवन के प्रति संतुष्टि और खुशी के स्तर में भी भारी अंतर देखी जा सकती है। अध्ययन में शामिल राष्ट्रों के नागरिकों की खुशी के स्तर को 0-10 अंक के पैमाने पर मापा गया। अर्थशास्त्रियों ने पाया कि सर्वाधिक स्वतंत्र राष्ट्र जो अध्ययन की दृष्टि से पहले हिस्से में शामिल हैं वहां के नागरिकों में जीवन के प्रति संतुष्टि और खुशी का स्तर लगभग 7 अंक के करीब था। वहीं सबसे कम आर्थिक स्वतंत्र राष्ट्र जो अध्ययन की दृष्टि से बने चौथे हिस्से में शामिल थें, वहां के नागरिकों में संतुष्टि और खुशी का स्तर न्यूनतम रहा और 0-10 अंकों के पैमाने पर लगभग 4.5 के आसपास रहा।

फ्रेज़र इंस्टिट्यूट द्वारा वार्षिक स्तर पर जारी किए जाने वाले प्रतिष्ठित वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक में मुख्यतः 5 बिंदुओं को शामिल किया जाता है। ये बिंदू हैं; 1) सरकार का आकार 2) न्यायिक व्यवस्था और संपत्ति का अधिकार 3) मजबूत मुद्रा 4) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आजादी और 5) नियमन। उक्त बिंदुओं के आधार पर फ्रेज़र इंस्टिट्यूट द्वारा वर्ष 2022 (वर्ष 2020 के आंकड़ों पर आधारित) के लिए जारी सूचकांक में भारत का प्रदर्शन गत वर्ष की तुलना में सुधरा पाया गया है। 161 देशों की सूची में भारत को पड़ोसी श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से 89वां स्थान प्राप्त हुआ है। जबकि  वर्ष 2019 के आंकड़ों पर आधारित 2021 के सूचकांक में भारत को 95वां स्थान प्राप्त हुआ था। इस प्रकार, भारत ने आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक में 6 स्थानों की छलांग लगाई है। भारत के अन्य पड़ोसी देशों नेपाल, बांगलादेश, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार, भूटान आदि को इस सूचकांक में क्रमशः 103वां, 139वां, 130वां, 116वां, 137वां और 110वां स्थान प्राप्त हुआ है।

सूचकांक में हांगकांग पहले स्थान पर और सिंगापुर दूसरे स्थान पर काबिज हैं। जबकि स्विट्जरलैंड, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड स्टेट्स, एस्टोनिया, मॉरिसस और आयरलैंड को सूचकांक में क्रमशः तीसरा, चौथा, पांचवा, छठा, सातवां, आठवां, नौवां और दसवां स्थान प्राप्त हुआ है। नॉर्थ कोरिया और क्यूबा से आंकड़े प्राप्त न होने के कारण उन्हें सूची में स्थान प्रदान नहीं किया गया है।

इस सूचकांकमें अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश; जापान (12वें), कनाडा (14वें), जर्मनी (24वें), इटली (43वें), फ्रांस (54वें), मैक्सिको (65वें), रूस (94वें) और ब्राजील (114वें) शामिल हैं।

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