रेड ब्रिगेड, उत्तर प्रदेश

रेड ब्रिगेड, उत्तर प्रदेश

रेड ब्रिगेड की अध्यक्ष उषा विश्वकर्मा से वरिष्ठ पत्रकार रामधारी यादव ने की खास बातचीत

"विश्वकर्मा खुद रही हैं बलात्कार पीड़िता"

"निशस्त्र कला" नामक प्रोग्राम के माध्यम से 2 लाख महिलाओं को कर चुकी हैं प्रशिक्षित

करीब 400 से अधिक महिलाओं को "स्वरोजगार व स्वालंबन " प्रोग्राम के तहत दे चुकी हैं रोजगार

संस्था कटहल पकवान नाम से एक प्रोग्राम चला रही जिसमें महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

महिला सुरक्षा को लेकर आप ने या आपकी संस्था" रेड ब्रिगेड" ने क्या कदम उठाए गए हैं?

महिला सुरक्षा को लेकर 2011 से हम लगातार काम कर रहे हैं, उन लड़कियों के लिए काम कर रहे हैं जिन लड़कियों के साथ बैलेंस हुआ, बलात्कार हुआ, उनके साथ काम कर रहे हैं, उनकी सुरक्षा को लेकर के काम कर रहे हैं उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, साथ-साथ किसी भी महिला और लड़की के साथ कोई अपने घटना होती है तो उसकी लड़ाई लड़ने का भी पूरी तरीके से काम करते हैं हर तरीके से न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं और लड़कियों को आत्मरक्षा और आत्मबल आत्मविश्वास की कमी ना हो उसको लेकर के भी 2011 से लगातार दो लाख लड़कियों को को प्रशिक्षित कर चुका है हमारे इस मिशन का नाम है" निशास्त्र कला" इसके तहत महिलाओं को जो कमजोरी का प्रतीक माना जाता है इस मिथक को तोड़ने के लिए हम महिलाओं को जागरूक कर उन को मजबूत बनाने का भी काम कर रहे हैं!

यूपी के अलावा किन किन राज्यों में रेड ब्रिगेड काम कर रही है?

रेड ब्रिगेड संस्था है जो सिर्फ महिलाओं लड़कियों के लिए काम करती है, उसका बेस सिर्फ उत्तर प्रदेश है और उत्तर प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षा की दृष्टि से वो आत्मरक्षा कर सके  और समाज में आजादी जी सके समय-समय पर अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन कर प्रशिक्षण दिया जाता है।

आपकी संस्था सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है या फिर स्वयंसेवी संस्था के तौर पर काम कर रही है।

सरकार के साथ हम लोग मिलकर कोई काम नहीं कर रहे हैंयह हमारी समाज सेवी संस्था है जो लोगों के लिए काम करती हैं।

उत्तर प्रदेश के अलावा आप किन राज्यों में और काम कर रही हैं?

उत्तर प्रदेश में खासकर लखनऊ स्थितिय संस्था है, लेकिन महिलाओं के सुरक्षा के मुद्दे को लेकर पूरे भारत में जाकर हम लोग काम कर रहे हैं

क्या महिलाओं के स्वरोजगार एवं  स्वालंबन को लेकर कुछ कार्य आपकी संस्था कर रही है?

महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कैसे महिलाएं अपने पैर पर खड़ी हो? उसके लिए हम कार्य कर रहे हैं, जैसे जिन महिलाओं की शादी हो गई है ,जिन महिलाओं की विवाह के बाद बच्चे हो गए हैं, परिवार है ,उनका घर से बाहर निकलना थोड़ा मुश्किल होता है, इसलिए ऐसी महिलाओं के लिए सिलाई प्रशिक्षण का कार्य कराया जाता है, मेहंदी प्रशिक्षण का और जो महिलाएं ज्यादा जागरूक हैं उनके लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स भी करवाया जाता है, ओर ऐसी कई महिलाएं हैं जो इस ट्रेनिंग को लेकर घर बैठे 5 से ₹7000 कमा रही हैं, साथ ही साथ परिवार को भी चला रही हैं और हमने इस तरीके के कई बैच निकाले हैं, जिसमें महिलाएं घर बैठे कुछ ना कुछ कर रही है साथ ही साथ अभी हमने महिलाओं के लिए "कटहल पकवान" नाम से एक प्रोग्राम चालू किए हैं जिसमें कटहल कई तरीके के पकवान बनाए जाते हैं जैसे कटहल का खीर ,चाप ,सब्जी हलवा, अचार ,आज इस तरीके की करीब 30 किस्म की चीजें बनाई जाती है ,इसको बनाने का प्रशिक्षण भी हम महिलाओं को देते हैं जिससे महिलाएं अचार पापड़ वह इससे जुड़ी अन्य कई चीजें बनाकर घर बैठे कुछ न कुछ कमा सकें, साथ ही साथ हमने उन लड़कियों और महिलाओं को अपने रेस्टोरेंट में भी काम देने का कार्य किया है जो महिलाएं रेस्टोरेंट में कार्य करने के लिए इच्छुक थी या फिर अन्य किसी रेस्टोरेंट में काम करना चाहती थी तो उनके लिए भी व्यवस्था की गई !

स्वालंबन की दृष्टि से अगर बात की जाए तो आपकी संस्था किन -किन जगहों पर महिलाओं के लिए कार्य कर रही है। अभी स्वालंबन को लेकर केवल लखनऊ में कार्य कर रही हूं।

स्वालंबन को लेकर लगभग कितनी महिलाएं आपके साथ में जुड़ चुकी हैं?

स्वालंबन की अगर बात की जाए तो सिलाई कढ़ाई से जुड़ी महिलाएं करीब 300 से ज्यादा है लेकिन अभी हमने जो कटहल पकवान में करीब 25 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है, अभी इन महिलाओं को अपने ही रेस्टोरेंट में काम करने के लिए रखा है, लेकिन आगे महिलाओं को प्रशिक्षण दे कर के और अन्य रेस्टोरेंट और होटल में भी कार्य कर सकें, इसके लिए भी प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 400 से 500 महिलाएं कार्य कर रही है, आप उन महिलाओं से संपर्क भी कर सकते हैं, उनसे संस्था से जुड़े कार्यक्रमों के बारे में भी प्रतिक्रिया ले सकते हैं किस तरीके का उनका अनुभव है इसके बारे में भी आप जानकारी कर सकते हैं।

बलात्कार की घटना की बात की जाए तो बच्चों के साथ दरिंदगी और बलात्कार की घटना को आप किस तरीके से देखती हैं , लोगों में सरकार का डर नहीं है ,या फिर जो लोग करते हैं, वह अवसाद से ग्रसित होते हैं या फिर सामाजिक परिवेश सुधारने की आवश्यकता है।

इसमें  सरकार को भी दोस्त नहीं दिया जा सकता है, समाज भी एकाकी हो गया है लोगों को सिर्फ अपने से मतलब है बगल वाले से कोई मतलब नहीं है, लोगों में मानवता और मानवीय  नहीं रह गई है, इसका प्रमुख कारण है कि संस्कार और सभ्यता के बारे में अपने बच्चों को हम सिखा पढ़ा नहीं पा रहे हैं। यह भी प्रमुख बात है,  दूसरी है कि आजकल इंटरनेट पर जो खुले आम नंगा नाच किया जा रहा है, इससे भी समाज प्रभावित होता है। जैसे टिक टॉक की रिल जो बनाई जा रही है, इंटरनेट पर भी एक तरीके का प्रॉस्टिट्यूशन चल रहा है, और साथ ही साथ इसमें इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हो रही पोर्न साइट, जितने लोग इस तरीके की उत्तेजित होने वाली चीजें देखते हैं और वह उसी तरीके का करने का प्रयास करते हैं जिन भी समाज के लिए घातक है!

सरकार और प्रशासन की इसके लिए जिम्मेदार है क्योंकि कानून तो बना दिए गए हैं लेकिन इसका सही तरीके से पालन नहीं हुआ है मान लो कि एक घटना होती है और उस घटना के तुरंत बाद आरोपी को आर एस करके जेल में बंद करने के बाद तहकीकात पूरी चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है, बड़ी बात यह है कि लड़कियों को हमने संकुचित कर दिया है, जिससे लड़कियों में आत्मविश्वास नहीं आ पा रहा है, हम बात तो करते हैं शिक्षा की समान अधिकार की लेकिन उनके सुरक्षा और स्वालंबन को लेकर कोई चर्चा नहीं होती इसके लिए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आने की जरूरत है।

बलात्कार की घटना हो जाने के बाद लोगों को धरना प्रदर्शन करने की क्यों जरूरत पड़ती है? क्या प्रशासन की लचर व्यवस्था है? अगर हम जिक्र करें अयोध्या की घटना की तो मामला कुछ इसी तरीके का नजर आ रहा है इस पर आप क्या कहेंगे?

अयोध्या की घटना अभी ताजा घटना है जो 5 साल की बच्ची के साथ बलात्कार होता है और मेडिकल रिपोर्ट के  आधार पर पता चलता है कि बच्ची की हालत बहुत गंभीर है, उसका सामान्य स्थिति में आना भी मुश्किल है, और अपराधी थी पता चलता है कि कौन-कौन है क्योंकि बच्ची अपने बयान में इस बात को कहती है,  बावजूद इसके पुलिस इस मामले पर लीपापोती करने में जुटी हुई है, पुलिस कह रही है कि एक आरोपी था जब की बच्ची कह रही है आरोपी तीन थे, यही प्रशासन की लचर व्यवस्था है जहां पर बलात्कारी का बचाव किया जाता है और पीड़िता चिल्लाकर कह रही है कि 3 लोग थे बावजूद इसके पुलिस कार्यवाही करने से कतरा रही है अगर बात प्रदर्शन की करें तो पुलिस और प्रशासन अगर सही तरीके से अपना कार्य करें तो इसकी जरूरत ही ना पड़े लेकिन यह सब करने के बावजूद भी प्रशासन प्रदर्शनकारियों या फिर जो इस तरीके की घटना के विरोध में खड़ा होता है उसको ही परेशान करने की कोशिश करती है इस व्यवस्था को सही करने के लिए पूरे देश को आगे आना चाहिए।

समाज में औरतों के लिए क्या मैसेज देना चाहेंगी आप?

औरतों को सबसे पहले अपने लिए जीना चाहिए, क्योंकि उनके साथ किस तरीके की घटनाएं हो रही है क्या हो रहा है उसके लिए उन्हें आवाज उठाना पड़ेगा और उसके लिए लड़ना भी पड़ेगा क्योंकि आपकी खुद की शरीर है तो वह आपको ही करना पड़ेगा, औरत को अपने मर्यादा में रहकर (फिलहाल औरत की मर्यादा क्या हर इंसान की अपनी मर्यादा होती है) काम करना चाहिए, औरत हर एक काम कर सकती है जो एक पुरुष करता है।

महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही हेल्पलाइन व योजनाओं को भी आप लोग या आपकी संस्था महिलाओं को इस बारे में बताती है?

हां सरकार की योजनाओं को हम लोग बताते हैं ,और महिलाओं को यह भी बताते हैं की आप यहां पर बात कर सकती वहां पर बात कर सकती हैं 1090 पर बात कर सकती हैं, लेकिन जिस तरीके से लोगों की सहायता होनी चाहिए उस तरीके से हो नहीं पाती है। सरकार के द्वारा महिलाओं के लिए अच्छी योजनाएं जो चलाई जा रही है वह हमारी नैतिकता है कि हम जनता तक पहुंचाएं और जनता को इसके बारे में जानकारी दें और हम लोग देते भी हैं!

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डिस्क्लेमर:

ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।

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