कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023

कर्नाटक राज्य की 224 विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है और अब 10 मई को यहां मतदान होगा। सत्ता में मौजूद भाजपा की तरफ से स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री मोदी के आक्रामक रुख से प्रचार अभियान को लीड करने के बाद से सरगर्मियां तेज है। जहां शुरुआत में विपक्षी दल कांग्रेस को बढ़त दी जा रही थी वहीं अब मामला बेहद दिलचस्प हो गया। कई राष्ट्रीय न्यूज चैनलों के ओपिनियन पोल में तो भाजपा की वापसी तक के संकेत दिए जा रहे है वहीं ज्यादातर ओपिनियन पोल कांग्रेस को बढ़त दिखा रहे है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि कर्नाटक भाजपा के लिए दक्षिण में सत्ता दिलाने वाला इकलौता राज्य है। इस लिहाज से इसका महत्व भाजपा के लिए बेहद अहम है। वहीं कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व इस बात को लेकर आश्वस्त है कि भाजपा की विदाई राज्य से तय है। कांग्रेस के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे भी इसी राज्य से आते है।

किसे मिलेगा बहुमत?
वैसे तो कर्नाटक में सीधी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच में रही है लेकिन ओल्ड मैसूर इलाके में अपना दबदबा रखने वाली जेडीएस भी यहां किंग मेकर का रोल अदा करती आई है और इस बार भी उसको पूरी उम्मीद है कि सत्ता की चाबी उसी के पास होगी।

बिना किसी चेहरे के मैदान में भाजपा
भाजपा यहां पर अपने सबसे बड़े स्थानीय नेता येदियुरप्पा के बगैर दूसरा चुनाव लड़ रही है। इससे पहले जब येदियुरप्पा ने जब पार्टी छोड़ी थी तब भाजपा को यहां पर सत्ता गवानी पड़ी थी। हालांकि  इस बार येदियुरप्पा भाजपा में ही हैं लेकिन अपनी उम्र के चलते चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐसे में भाजपा इस बार बिना किसी सीएम चेहरे के पहली बार कर्नाटक में चुनावी मैदान में है।

कांग्रेस में सीएम पद को लेकर कई दावेदार
कांग्रेस इस बार कर्नाटका को लेकर बहुत आशावाद है उसकी वजह है कि कांग्रेस में अपनी अंदरूनी कला को दूर करते हुए एक संगठन के रूप में चुनाव लड़ा है। लेकिन इसके बावजूद सीएम पद को लेकर अंदर खाने कांग्रेस में कई मजबूत खेमे है जो पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। वर्तमान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री के रूप में एक सशक्त उम्मीदवार हैं। वही पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी पीछे नहीं है उनके समर्थक आश्वस्त हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ही होंगे।

चुनावी वादे और पार्टियां
चुनाव को लेकर बीजेपी  और कांग्रेस दोनों ने चुनावी वादों से भरा घोषणा पत्र जारी कर दिया है।
दोनों के घोषणा पत्रों की मुख्यों बातों को सामने रखा जाए तो वोटर्स के लिए सहूलियत होती है। ऐसे में लेकर अगले हिस्से में हम आपको बता रहे हैं स्वास्थ्य शिक्षा किसान और महिलाओं के लिए भाजपा और कांग्रेस द्वारा किए गए वादों का तुलनात्मक वर्णन।

महिलाओं के लिए घोषणा

·       बीजेपी ने बेंगलुरु की सभी गलियों में एआई फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर से लैस सीसीटीवी लगाने का वादा किया है, जिसे महिलाओं की सुरक्षा के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) से जोड़ा जाएगा।

·       बीजेपी ने 'ओनके ओबव्वा सामाजिक न्याय निधि' योजना का भी वादा किया, जिसके माध्यम से वह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के परिवारों की उन महिलाओं को 10 हजार तक की एफडी करके देगी जिन्होंने पहले से कोई पांच साल के लिए एफडी बनाकर रखी है।

·       कांग्रेस ने घोषणापत्र में 'शक्ति' योजना के तहत नियमित केएसआरटीसी/बीएमटीसी बसों में कर्नाटक में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा का वादा किया है।

·       कांग्रेस ने परिवार की हर महिला मुखिया को 2,000 रुपये प्रति माह देने का भी वादा किया है।

 

किसानों/मछुआरों के लिए घोषणा

·       बीजेपी ने 1000 किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने का वादा किया है साथ ही सभी ग्राम पंचायतों में माइक्रो-कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और एग्रो प्रोसेसिंह यूनिट की स्थापना के लिए 30,000 करोड़ रुपये के-एग्री फंड स्थापित करने का वादा किया।

·       डेयरी किसानों को दिए जाने वाले इंसेंटिव को बढ़ाकर 7 रुपये प्रति लीटर किया जाएगा।

·       गांव से शहर के बाजारों तक 50 किलोग्राम तक के कृषि, बागवानी और डेयरी उत्पादों का फ्री ट्रांस्पोर्ट।

·       कांग्रेस अगले 5 सालों में किसान कल्याण के लिए 1.5 लाख रुपए का वादा किया. फसल नुकसान की भरपाई के लिए 5000 करोड़ रुपए (हर साल 1000 करोड़ रुपए)

·       नारियल किसानों और अन्य के लिए MSP सुनिश्चित किया जाएगा।

·       दूध पर सब्सिडी को 5 रुपए से बढ़कर 7 रुपए किया जाएगा।

 

शिक्षा के लिए किसका क्या वादा?

·       बीजेपी ने 'विश्वेश्वरैया विद्या योजना' के तहत सरकारी स्कूलों को पूरी तरह से संवारने का वादा किया है। बीजेपी ने शिक्षा और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एसएमई और आईटीआई के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए समन्वय योजना शुरू करने का भी वादा किया है।

·       कांग्रेस ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) को खत्म करने का वादा किया है और कहा है कि राज्य शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी।

·       कांग्रेस के घोषणापत्र में, पार्टी ने पुस्तकों में भरत और कर्नाटक के सच्चे मूल्यों और वैज्ञानिक स्वभाव को बहाल करने का वादा किया और यह दावा किया है कि बीजेपी सरकार ने बसवन्ना और कुवेम्पु का अपमान करके पाठ्य पुस्तकों को बिगाड़ा है।

युवा और रोजगार को लेकर घोषणा

·       बीजेपी ने 10 लाख मैन्युफैक्चरिंग नौकरियां बनाने के उद्देश्य से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का दायरा बढ़ाने का वादा किया है।

·       कांग्रेस ने ऑटो चालकों और टैक्सी चालकों के लिए अलग-अलग बोर्ड के अलावा, गिग इकॉनमी में लोगों की बढ़ती संख्या में मदद करने के लिए एक गिग वर्कर्स (दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग) वेलफेयर बोर्ड स्थापित करने का वादा किया है।

·       कांग्रेस ने ग्रेज्युएट के लिए 3,000 रुपये प्रति माह और डिप्लोमा धारकों के लिए 2 साल के लिए 1,500 रुपये की 'युवा निधि' का वादा किया है।

 

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी घोषणाएं

·       बीजेपी ने नगर निगमों के हर वार्ड में क्लिनिक की स्थापना करके 'मिशन स्वास्थ्य कर्नाटक' के माध्यम से राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने का वादा किया है. इसमें यह भी कहा गया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए नि:शुल्क वार्षिक मास्टर स्वास्थ्य जांच का प्रावधान है।

·       कांग्रेस ने वाया किया कि आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन को 15,000 रुपये और 10,000 रुपये तक बढ़ाया जाएगा और रात की ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को हर साल एक महीने के अतिरिक्त वेतन के साथ-साथ 5,000 रुपये प्रति माह का अतिरिक्त भत्ता मिलेगा। कांग्रेस ने 'गृह ज्योति' योजना के तहत घरों में 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा भी किया है।

·       2024 के आम चुनाव से पहले कर्नाटका का चुनाव अहम माना जा रहा है इसकी वजह है दक्षिण में कांग्रेस की उम्मीदें और भाजपा का दक्षिण में अपने वजूद बचाए रखने का अहम मौका। अगर कांग्रेस को यहां जीत मिलती है तो वह 2024 से पहले अपने लिए हवा बनाएगी वहीं भाजपा इसको मोदी की नीतियों और भाजपा के सबका साथ सबका विकास के बढ़ते अध्याय के रूप में पेश करेगी। हालांकि इन चुनावों का 2024 के लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ेगा यह कहना सही नहीं है क्योंकि राज्य और देश के चुनाव में मतदाताओं द्वारा अलग-अलग वोटिंग पेटर्न्स को 2019 से पहले हुए कई राज्यों के चुनाव साफ तौर पर दर्शा चुके हैं।

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