आर्थिक मोर्चे पर भारत

India on economic front - आर्थिक मोर्चे पर भारत

अच्छी खबर, अमेरिका से आगे भारत:

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जारी रिपोर्ट में वर्तमान वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा रहने का अनुमान है। इस मामले में भारत अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, कनाडा, ब्रिटेन, चीन, रूस और स्पेन जैसे देशों से आगे चल रहा है।  एक ओर जहां आईएमएफ ने अमेरिका की विकास दर 3.7% रखी है वहीं भारत की विकास दर 8.2% रहने की उम्मीद है।

चीन से दोगुनी रहेगी भारत की रफ्तार:

भारतीय इकोनोमी चीन के मुकाबले तकरीबन दोगुनी रफ्तार से आगे बढ़ेगी। आइएमएफ ने इस वर्ष चीन की इकोनोमी की वृद्धि दर 4.4 फीसद रहने की बात कही है। वैश्विक इकोनोमी की वृद्धि दर अनुमान को भी आइएमएफ ने 6.1 फीसद से घटा कर 3.6 फीसद कर दिया है।

बुरी खबर:

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया है। इससे पहले जनवरी में भारत के लिए आईएमएफ ने यह आंकड़ा नौ फीसदी रहने का अनुमान जताया था। 

युद्ध से दुनिया पर महंगाई की मार:

उधर, आईएमएफ ने यह भी कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध से पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ी है। इस साल के लिए वैश्विक वृद्धि दर के पूर्वानुमान में भी आईएमएफ ने 0.8 फीसदी की कमी करते हुए 3.6 फीसदी कर दिया है।

आईएमएफ के अनुसार साल 2021 में भारत की वृद्धि दर 8.1 फीसदी रही थी। ताजा आंकड़ों के अनुसार साल 2022 के लिए इस दर का अनुमान 8.2 फीसदी और 2023 के लिए 6.9 फीसदी है।

भारत वित्त प्रबंधन में अच्छा- IMF MD:

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि भारत अपने वित्त का प्रबंधन करने में बहुत अच्छा है, लेकिन यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियानों के बाद वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। IMF के प्रमुख ने कहा, भारत आयातक है, और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि का नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है।

आईएमएफ प्रबंध निदेशक ने कहा, भारत अपने वित्त के प्रबंधन में बहुत अच्छा रहा है। हमारे सदस्यों को हमारी सलाह सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपनी आबादी को कीमतों में वृद्धि से बचाएं। जॉर्जीवा ने कहा, उन लोगों के लिए अपने वित्तीय स्थान को तय करें जिन्हें समर्थन की ज्यादा जरूरत है। हम मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं को भी देख रहे हैं कि जो हो रहा है उसके लिए उन्हें उचित तरीके से कैसे ठीक किया जा सकता है।

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ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।

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