शहरों में जो व्यक्ति हर महीने 965 रुपये और गांवों में 781 रुपये खर्च करता है वो गरीब नहीं माना जाएगा. ये बात योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके कही है. आयोग ने राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन के आंकड़े के आधार पर गरीबी रेखा की परिभाषा में सुधार करते हुए कहा है कि शहरों में रोजाना 32 रुपये और गावों में रोजाना 26 रुपये खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं माना जाएगा.