क्या खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार कागजी वायदों के सिवाय कुछ ठोस उपायों के बारे में सोच सकती है? हमारा मानना है कि अमूल की तर्ज पर किसानों को कोऑपरेटिव और कंपनियों के रूप संगठित किया जाना चाहिए और इन एजेंसियों के जरिए व्यवस्थित रीटेल बनाया जाना चाहिए।
प्राय: मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सरकार फाइलें खोलती है और कुछ कागजी कार्रवाई करती है। इसके बाद कर्ज की उपलब्धता में कमी की जाती है, निर्यात पर रोक लगाई जाती है, आयात के नियमों में ढील दी जाती है और मल्टी-ब्रान्ड रीटेल के दरवाजे विदेशी निवेश के लिए खोलने की जरूरत को लेकर बहस शुरू हो जाती है। इस तरह के कदम उठाना व्यर्थ नहीं है, लेकिन ये ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए हैं।