आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ने स्कूलों में बच्चों का नामांकन और उपस्थिति बढ़ने के लिए भारत की पीठ थपथपाई है लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि देश में छात्रों को औसत दर्जे की शिक्षा और कौशल प्रदान किया जा रहा है। इसमें पढ़ना और लिखना भी शामिल है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों से नीचे है।
संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेशक भारत में आने वाले सालों में शिक्षित श्रमजीवी वर्ग की तादाद में इज़ाफा होगा, लेकिन डिग्री और सर्टिफिकेट इकठ्ठा करने की बजाय वास्तविक कौशल प्राप्त करना ज्यादा अहम है। यह किसी व्यक्ति की आमदनी बढ़ने की संभावनाओं को तो बढ़ाती ही है साथ ही उसका देश के विकास में योगदान भी सुनिश्चित करती है।