बीस सालों से प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में सक्रिय। लिखने और पढ़ने का जुनून। हिन्दी साहित्य के साथ पत्रकारिता में भी मास्टर डिग्री। दैनिक जागरण में बतौर रिपोर्टर प्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत। मशहूर पत्रकार नलिनी सिंह के साथ टेलीविजन पर करंट अफेयर कार्यक्रम आंखों देखी, हैलो जिंदगी, मेड इन इंडिया जैसे नामचीन कार्यक्रम में बतौर प्रोड्यूसर शिरकत। थोड़े समय के लिए आजतक में कार्य अनुभव। बीएजी फिल्मस में इन टाइम, रोजाना और खबरें बॉलीवुड की जैसे कार्यक्रमों का निर्माण और निर्देशन। दिल्ली विश्वविद्यालय में गेस्ट लेक्चरर के रूप में अध्यापन।...
मामा मेहुल चौकसी और भांजे नीरव मोदी की जोड़ी ने देश के सरकारी बैंकिंग सिस्टम की जड़ें हिला दी हैं। 11,600 करोड़ से ज्यादा का ये घोटाला आजकल देश में हर किसी की जुबान पर है। कोई इसे चटखारे लेकर बयान कर रहा है तो किसी ने इसे अपनी राजनीति चमकाने का हथियार बना लिया है। हैरत ये है कि कैसे फर्जी गारंटियों के दम पर बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से बैंकिग सिस्टम को भेद नीरव मोदी चूना लगाकर फरार हो गया। अपने आपको गर्व से देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक कहने वाला पंजाब नेशनल बैंक अब खिसयाए अंदाज में सफाई दे रहा है। पर क्या ये मुमकिन है कि आज हो रही है...
मशहूर कवि मलिक मुहम्मद जायसी आज जिंदा होते तो ‘पद्मावत’ लिखने के बाद इस समय कुछ ऐसे संगठनों का विरोध झेल रहे होते जिन्हें कोई जानता तक नहीं है। वो लाख दावा करते कि उनकी लिखी ‘पद्मावत’ काल्पनिक पात्रों पर आधारित है लेकिन राजपूती आन बान शान के रखवाले उनकी किताब की होली जला रहे होते। ऐसे में खुद जायसी भी ‘पद्मावत’ को प्रकाशित करने की बजाय अपनी पांडुलिपि को रद्दी में बेचना ज्यादा पसंद करते पर अफसोस निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली ऐसा नहीं कर सकते। 250 करोड़ रुपये लगाकर उन्होंने इतिहास को काल्पनिक जामा पहना रुपहले पर्दें को जीवंत कर फिल्म...
“माल-ए-मुफ्त, दिल–ए-बेरहम, फिर क्या तुम, क्या हम?” हमारी एक आदत सी हो गई है। हम हर चीज की अपेक्षा सरकार या सरकारी व्यवस्था से करते हैं। यह ठीक है कि हमारे दैनिक जीवन में सरकार का दखल बहुत अधिक है बावजूद इसके हम उस पर कुछ ज्य़ादा ही निर्भर हो जाते हैं। एक कहावत है कि किसी समाज को पंगु बनाना है तो उसे कर्ज या फिर सब्सिडी की आदत डाल दो, वो इससे आगे कभी सोच ही नहीं पाएगा। देश की राजनीति में ये कथन बहुत मौजूं है।
सरकार देश के कमजोर तबके के लोगों के लिए कुछ मूलभूत जरूरत की चीजों को खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देती है जिसे सब्सिडी कहा जाता...
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