जब अमेरिका और यूरोप मंदी से त्रस्त हैं और शेष दुनिया पर भी इसका कमोबेश असर दिखता है, तब रेशनल एक्सपेक्टेशंस थ्योरी के दो प्रणेताओं, क्रिस्टोफर ए सिम्स और थॉमस जे सार्जेंट को अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार देने की घोषणा का अर्थ है। हालांकि इन दोनों ने अलग-अलग काम किया है, लेकिन बीती सदी के साठ और सत्तर के दशक में किया गया इनका अध्ययन न सिर्फ एक दूसरे का पूरक है, बल्कि कई दशक पहले किए गए उनके अध्ययन की प्रासंगिकता आज कई गुनी बढ़ गई है।