एक शताब्दी पूर्व राजनैतिक आज़ादी का विचार शिक्षित अभिजात वर्ग में बहस का मुद्दा हुआ करता था। यह बहुतायत का जनप्रिय आन्दोलन होने की बजाय गिने चुनों के बीच बुद्धिगत माथा पच्ची का विषय बना था। ऐसा नहीं कि उस समय भारतियों में उपनिवेशवाद से राजनैतिक निजात पाने की अभिलाषा नहीं थी, बात बस यह थी कि आज़ादी की यह संकल्पना आम लोगों के पल्ले नहीं पड़ती थी। ये महात्मा गाँधी जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति ही थे जिन्होंने अभिजात वर्ग के लक्ष्यों को ऐसे आसान मंत्र में गढ़ दिया कि वह हर किसी को समझ आ सके। प्रत्येक व्यक्ति को उन्होंने एक सरल सस्ता हथियार दिया, अहिंसात्मक अवज्ञा, जिससे स्वतंत्रता