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ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म वर्ष 1827 में 11 अप्रैल को सतारा, महाराष्ट्र में हुआ था। वे जाति से माली थे और उनके परिवार का मुख्य व्यवसाय फूलों का था। जब उनकी उम्र मात्र 9 माह थी तभी उनकी मां चल बसी। बालक ज्योतिराव ने भी काफी समय तक अपने पिता के साथ फूलों के गजरे बनाने और बेचने का काम किया। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने खेती भी की। उनके पिता उन्हें स्कूल नहीं भेजते थे। उन्हें लगता था कि पढ़ लिख जाने के बाद ज्योतिराव को काम करने में शर्म आएगी। लेकिन ज्योतिराव की पढ़ाई में रूचि और तेज दिमाग...

सर सी. वाई. चिंतामणि का पूरा नाम था, चिर्रावूरी यज्ञेश्वर चिंतामणि। चिर्रावूरी, कृष्णा जिले के उनके पैतृक ग्राम का नाम था। उनका जन्म तेलुगु नव-वर्ष के अवसर पर अप्रैल 10, 1880 को विजयनगरम (आंध्र-प्रदेश) में हुआ था। उस समय यह मद्रास प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था। अपने पिता चिर्रावूरी रामसोमायाजुलु गारू की वे तीसरी संतान थे। उनके पिता सनातनधर्मी विद्वान् एवं विजयनगरम के शासक, महाराजा सर विजयराम गजपति राजू के ‘धार्मिक अनुष्ठानों’ के परामर्शदाता थे! उनके पूर्वज 19वीं सदी के प्रारम्भ में ही इसी कारण से अपने ग्राम एवं जनपद से...

प्रमुख भारतीय उदारवादी चिंतक हृदयनाथ कुंजरु का जन्म 1 अक्टूबर 1887 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित अयोध्या नाथ कुंजरु और माता का नाम जनकेश्वरी था। वह लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और चार दशकों तक संसद और विभिन्न परिषदों को अपनी सेवाएं दी। वर्ष 1946 से 1950 तक वह उस कांस्टिटुएंट असेम्बली ऑफ इंडिया के सदस्य भी रहे जिसने भारत का संविधान तैयार किया था। वह देश दुनिया की घटनाओं पर पैनी नजर और रूचि रखते थे। उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ...

आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को कृषि क्षेत्र में नयी जान डाल देनी चाहिए ताकि उसकी पूरी क्षमता का दोहन किया जा सके। हालांकि जहां बहुत सारे लोगों की दलील है कि यह संशोधन सही दिशा में उठाया गया कदम है, यह अधिनियम आपने मौजूदा रूप में आदर्श नहीं है। कुछ नियमों के स्पष्ट न होने के कारण यह अनुत्पादक हो सकता है जिसकी वजह से उस स्थिरता पर खतरा पैदा हो सकता है जिसे यह बढ़ावा देना चाहता है।
संसद ने कीमतों में स्थिरता हासिल करने के...

यदि व्यक्ति शांतिपूर्ण, क्रियाशील एवं विवेकपूर्ण समाज में आपसी हित के लिए साथ रहना चाहे तो उसे कुछ आधारभूत सामाजिक नियमों को अवश्य मानना होगा। इसके बगैर किसी नैतिक या सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।
वैयक्तिक अधिकारों को मान्यता देने का अर्थ है कि व्यक्ति के जीवित रहने के लिए जो सामाजिक जरूरतें हैं, उनको मान्यता देना और स्वीकार करना। व्यक्ति के अधिकारो का उल्लंघन सिर्फ शारीरिक बल प्रयोग द्वारा ही किया जा सकता है। इन शारीरिक...

स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, उदारवादी विचारक, शिक्षाविद् एवं समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म रत्नागिरी कोटलुक ग्राम में एक सामान्य परिवार में 9 मई 1866 को हुआ। उनके पिता का नाम कृष्ण राव था जो एक क्लर्क थे। न्यू इंग्लिश स्कूल पुणे में अध्यापन करते हुए गोखले जी बालगंगाधर तिलक के संपर्क में आए। गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे...

शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा नॉर्थ दिल्ली म्युन्सिपल कॉरपोरेशन के स्कूल में किये गए औचक निरीक्षण में कई शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। एक शिक्षक ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी लेकिन वास्तव में वह निरीक्षण के दौरान स्कूल में उपस्थित नहीं था। जो शिक्षक स्कूल में उपस्थित थे वे भी क्लास नहीं ले रहे थे। कुछ शिक्षक जो क्लास ले रहे थे वहां भी छात्रों की उपस्थित कुल दाखिल छात्रों की संख्या के आधे से थोड़ी ही अधिक थी। यह तब है जबकि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद हैं और कक्षाएं ऑनलाइन चल रही हैं।...

भारत में कृषि उत्पादों का मूल्य समर्थन एक जोखिम भरा काम है और हमें इसमें निहित खतरों से पहले ही चेत जाना चाहिए। भारत की राष्ट्रीय आय का 50 प्रतिशत कृषि से आता है। मूल्य समर्थन की नीति मूल तौर पर मूल्य समर्थित माल के उत्पादन के लिए शेष समुदाय द्वारा उत्पादकों को दिया गया अनुदान है। जिन देशों में कृषि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का एक छोटा क्षेत्र है, वहां पर अर्थव्यवस्था के बड़े क्षेत्र में अनुदान बहुत ही कम आकार में बांट दिया जाता है और किसानों को इसका पर्याप्त लाभ मिलता है। भारत में मामला इससे...