इंटरनेशनल फूड पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) के मुताबिक भारत 109 देशों की सूची में 103वें स्थान पर है और 20 करोड़ अन्न के अभाव का शिकार हैं। यह बात पक्के तौर पर कही जा सकती है कि सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप इस भूख और भुखमरी का प्रमुख कारण है। मेरा मानना है कि सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप से जो विकृतियां या असंतुलन पैदा होते हैं वे व्यापक समूह को प्रभावित करते हैं। इस विकृति या दुष्प्रभाव से निबटने के लिए सरकार नए हस्तक्षेप लागू करती है। इससे अंतहीन सरकारी
615 मिलियन लोगों के द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली ‘हिंदी’ विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। मैंडरिन और अंग्रेजी का स्थान क्रमशः पहला और दूसरा है। दुनिया भर में एक ओर जहां तमाम भाषाएं विलुप्त हो रही हैं और उनके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए अनेक कदम उठाने की जरूरत पड़ रही है वहीं हिंदी का प्रसार दिन दूनी रात चौगुनी गति से हो रहा है। लेकिन ऐसा हमेशा से ही नहीं था। आजादी के पहले व बाद में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर प्रयास किए जाते रहे। लोकमान्य
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कानून के तहत इसका पालन न करने वाले कॉर्पोरेट्स के लिए जेल के प्रावधान पर पुर्नविचार करने के बयान के बमुश्किल एक सप्ताह के भीतर ही एक उच्च स्तरीय कमेटी ने इसे दीवानी अपराध (सिविल ऑफेंस) बनाने और प्रावधान को अर्थदंड तक सीमित रखने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। पूर्व में इसके लिए तीन वर्ष तक के जेल की सजा का प्रावधान था। इस सुझाव के आते ही कुछ प्रबुद्ध वर्गों के बीच तीखी आलोचना का दौर शुरू हो गया जो इसे जरूरी मानते हैं। उनके बहस
अविनाश चंद्रा
इस पेज पर अविनाश चंद्रा के लेख दिये गये हैं।
इंटरनेशनल फूड पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) के मुताबिक भारत 109 देशों की सूची में 103वें स्थान पर है और 20 करोड़ अन्न के अभाव का शिकार हैं। यह बात पक्के तौर पर कही जा सकती है कि सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप इस भूख और भुखमरी का प्रमुख कारण है। मेरा मानना है कि सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप से जो विकृतियां या असंतुलन पैदा होते हैं वे व्यापक समूह को प्रभावित करते हैं। इस विकृति या दुष्प्रभाव से निबटने के लिए सरकार नए हस्तक्षेप लागू करती है। इससे अंतहीन सरकारी
615 मिलियन लोगों के द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली ‘हिंदी’ विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। मैंडरिन और अंग्रेजी का स्थान क्रमशः पहला और दूसरा है। दुनिया भर में एक ओर जहां तमाम भाषाएं विलुप्त हो रही हैं और उनके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए अनेक कदम उठाने की जरूरत पड़ रही है वहीं हिंदी का प्रसार दिन दूनी रात चौगुनी गति से हो रहा है। लेकिन ऐसा हमेशा से ही नहीं था। आजादी के पहले व बाद में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर प्रयास किए जाते रहे। लोकमान्य
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कानून के तहत इसका पालन न करने वाले कॉर्पोरेट्स के लिए जेल के प्रावधान पर पुर्नविचार करने के बयान के बमुश्किल एक सप्ताह के भीतर ही एक उच्च स्तरीय कमेटी ने इसे दीवानी अपराध (सिविल ऑफेंस) बनाने और प्रावधान को अर्थदंड तक सीमित रखने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। पूर्व में इसके लिए तीन वर्ष तक के जेल की सजा का प्रावधान था। इस सुझाव के आते ही कुछ प्रबुद्ध वर्गों के बीच तीखी आलोचना का दौर शुरू हो गया जो इसे जरूरी मानते हैं। उनके बहस
Pages