लोकसभा चुनावों के लिए चौथे चरण का मतदान हो चुका है और पांचवे चरण के लिए कैंपेनिंग अपने चरम पर है। सभी राजनैतिक दल अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए तमाम लोक लुभावन वादे कर रहे हैं और आश्वासनों की झड़ी लगा रहे हैं। राजनैतिक मंच से सबसे अधिक चर्चा यदि किसी विषय पर हो रही है तो वह बेरोजगारी और किसान आत्महत्या का मुद्दा ही है। इसके बात बारी धार्मिक कट्टरता, न्यूनतम आय गारंटी, महागठबंधन, बालाकोट सर्जिकल एयर स्ट्राइक और रफैल डील की आती है।
आश्चर्यजनक है कि तमाम प्रांतीय और राष्ट्रीय आंदोलनों, सत्याग्रहों और क्रांति के लिए जाने जाने वाले भारत देश में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार को लेकर हुए किसी बड़े जन-आंदोलन का वाक्या याद नहीं आता। कुछ-एक आंदोलन (ज्योतिबा फुले/सावित्री बाई फुले का अभियान) जो शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव लाने में कामयाब हुए भी तो उनका प्राथमिक उद्देश्य महिला उत्थान, समाज सुधार अथवा वर्ण/जाति व्यवस्था में बदलाव ज्यादा रहा। स्वतंत्रता पूर्व और पश्चात के काल में भी कुछ बड़े आंदोलन अवश्य हुए लेकिन उनकी
महादेव गोविन्द रानाडे का जन्म नाशिक के निफड तालुके में 18 जनवरी, 1842 को हुआ था। उनके बचपन का अधिकांश समय कोल्हापुर में बीता। 14 साल की अवस्था में उन्होंने बॉम्बे के एल्फिन्सटन कॉलेज से पढ़ाई प्रारंभ की। उन्होंने एक एंग्लो-मराठी पत्र ‘इन्दुप्रकाश’ का सम्पादन भी किया।
बाद में महादेव गोविन्द रानाडे का चयन प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट के तौर पर हुआ। सन 1871 में उन्हें ‘बॉम्बे स्माल काजेज कोर्ट’ का चौथा न्यायाधीश, सन 1873 में पूना का प्रथम
अविनाश चंद्रा
इस पेज पर अविनाश चंद्रा के लेख दिये गये हैं।
लोकसभा चुनावों के लिए चौथे चरण का मतदान हो चुका है और पांचवे चरण के लिए कैंपेनिंग अपने चरम पर है। सभी राजनैतिक दल अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए तमाम लोक लुभावन वादे कर रहे हैं और आश्वासनों की झड़ी लगा रहे हैं। राजनैतिक मंच से सबसे अधिक चर्चा यदि किसी विषय पर हो रही है तो वह बेरोजगारी और किसान आत्महत्या का मुद्दा ही है। इसके बात बारी धार्मिक कट्टरता, न्यूनतम आय गारंटी, महागठबंधन, बालाकोट सर्जिकल एयर स्ट्राइक और रफैल डील की आती है।
आश्चर्यजनक है कि तमाम प्रांतीय और राष्ट्रीय आंदोलनों, सत्याग्रहों और क्रांति के लिए जाने जाने वाले भारत देश में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार को लेकर हुए किसी बड़े जन-आंदोलन का वाक्या याद नहीं आता। कुछ-एक आंदोलन (ज्योतिबा फुले/सावित्री बाई फुले का अभियान) जो शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव लाने में कामयाब हुए भी तो उनका प्राथमिक उद्देश्य महिला उत्थान, समाज सुधार अथवा वर्ण/जाति व्यवस्था में बदलाव ज्यादा रहा। स्वतंत्रता पूर्व और पश्चात के काल में भी कुछ बड़े आंदोलन अवश्य हुए लेकिन उनकी
महादेव गोविन्द रानाडे का जन्म नाशिक के निफड तालुके में 18 जनवरी, 1842 को हुआ था। उनके बचपन का अधिकांश समय कोल्हापुर में बीता। 14 साल की अवस्था में उन्होंने बॉम्बे के एल्फिन्सटन कॉलेज से पढ़ाई प्रारंभ की। उन्होंने एक एंग्लो-मराठी पत्र ‘इन्दुप्रकाश’ का सम्पादन भी किया।
बाद में महादेव गोविन्द रानाडे का चयन प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट के तौर पर हुआ। सन 1871 में उन्हें ‘बॉम्बे स्माल काजेज कोर्ट’ का चौथा न्यायाधीश, सन 1873 में पूना का प्रथम
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